सत्य क्या है
सत्य एक सफर है।
इस सफर के सारे मील के पत्थर
सारे सत्य है।
लेकिन सारे अधूरे सत्य ।
सफर के
हर पड़ाव से शुरु होती है
एक नये सत्य की खोज
सनद रहे
सत्य कोई
स्कूली पाठ नहीं
कि अध्यापक ने पढ़ाया
और तुम ने याद कर लिया
हर सत्य की कोख से
प्रतिपादित होता है
एक नूतन व पृथक सत्य के लिये दिशा संकेत
फिर उस नयी दिशा में प्रवास
और एक और अनथक प्रयास
हर सत्य के साक्षात्कार से
उर्जा ग्रहण कर
निरन्तर यात्रा
नित्य एक नयी यात्रा
एक ग्रहणशील यात्रा
नित्य नये सूर्य के आह्वान के मानिन्द
यह यात्रा ही है एकमात्र सम्पूर्ण सत्य।
2 comments:
सत्य क्या है....
हर रोज़ यह बदलता क्यों है...
हर जगह से अलग दिखता क्यूं है....
अक्सर यह कड़वा क्यूं है....
मीठा सच कुछ कम क्यूं है.....
कुछ शब्दों के कपड़े पहन कर
हर झूठ सच लगता है....
थोड़ा सफर तय करने के बाद...
हर सच झूठ बन जाता है....
सत्य भी एक भ्रम है...
झूठ उसका साया है....
सत्य यात्रा है। मिठास और कड़वापन तो अपना अपना संवेदन है। सत्य से उसका कोइ सरोकार नहीं।
हम जैसे सूर्य की ओर बढ़ते हैं,सूर्य की छवि बदलती रहती है। सूर्य नहीं बदलता, सिर्फ छवि बदलती है। उसी तरह सत्य की भी छवि यत्रा के साथ साथ बदलती रहती है।
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