Sunday, August 31, 2008

Midsummer Night’s Dream

कल रात सपनों में जब मेरी नींद खुली , अपने आपको पाकिस्तान के भूतपूर्व सेनापति नहीं नहीं राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ़ के रूबरु पाया। मन ने कहा, धत् तेरे की,कहां तो जबसे राखी सावन्त का शो देखा था, जुगत भिड़ा रहा था कि सपनों में राखी सावन्त से मुलाकात हो जाये और उन्हें नजदीक से देखकर, मैं उनके उस प्रश्न का उत्तर दे पाऊं की “ये तो बता, कि देखता है क्या”। खैर ये प्रोग्राम फिर किसी शाम या जाम के लिये मुल्तवी करते हुये सोचा कि भूतपूर्व राष्ट्रपति जी से ही मुलाकात कर ली जाये।
मुशर्रफ साहब कुछ सज धज कर कहीं जाने को प्रस्तुत थे। पूछने पर बताया कि वे भारतीय दूतावास की ओर रुखसार हैं। मैने पूछा कि “अब तो जनाब आप राष्ट्राध्यक्ष भी नहीं हैं और सेनाध्यक्ष भी नहीं,अब आपका भारतीय दूतावास में क्या काम?”
मुशर्रफ साहब ने हिप पाकेट में रिवाल्वर सहेजते हुये फरमाया कि “बन्धु अब सरकारी कारणों से नहीं,व्यक्तिगत कारणों से भारतीय दूतावास की ओर रुखसार हूं।” फिर खुलासा करते हुये कहा कि “भाई पाकिस्तान में भूतपूर्व राष्ट्रपति की कोई परम्परा नहीं है। यहां सिर्फ स्वर्गीय या निष्कासित राष्ट्राध्यक्ष की ही परम्परा है। अमेरीका की मेहरबानी से कितने दिन इस राष्ट्रीय परम्परा के विरुद्ध यहां टिक पाऊंगा। तुम्हारे यहां तो भूतपूर्व प्रधान मन्त्री जिसने अपना पांच वर्ष का कार्यकाल भी पूरा नहीं किया बीस साल बाद भी वार्षिक कम से कम दो करोड़ के सरकारी खर्च पर जिन्दा हैं। और इतना ही नहीं गाहे बेगाहे समाचार पत्रों में भी दिख जाता है।

मैंने कुतहूलता वश पूछा किस भारत के शहर में बसने का विचार कर रहें हैं। मुशर्रफ जी ने फरमाया , “भई तुम तो जानते ही हो कि हमारी पैदाइश ही दिल्ली की है तो वहीं बसेंगे।” मेरा अगला प्रश्न बड़ा अहम् था। मैने पूछा जनाब आप क्यों समझते हैं कि “आपको भारत वहां बसने की इजाजत दे देगा।” मुशर्रफ साहब मन्द मन्द मुस्कराये कहे ये अन्दर की बात है। मैंने राजदार बनने के प्रयास में कहा कि जनाब हम भी तो अन्दरवाले ही हैं हमें कौन जरदारी साहब या शरीफ़ साहब ने ISI में शामिल कर लिया है कि हमसे कुछ छूपाओ। अब ISI का नाम सुनने की देर थी कि मुशर्रफ साहब जी की बांछे खिल गयीं थीं। तब उन्होंने बड़े फख्र से पूरी बात का खुलासा किया।
अरे महाशय इसी ISI की वजह से ही तो हमारी नागरिकता की बात चल रही है। आपके राष्ट्राध्यक्ष हमारी ISI सम्बन्धित कार्यकुशलता से प्रभावित हो अपनी RAW में सलाहकर्ता के पद के लिये चुना है। अब हम भारत की RAW को भी ISI के समकक्ष अन्तर्राष्ट्रीय सशक्त संस्था में परिवर्तित कर देंगे। भविष्य में जितने फिदायीन हमले ये जरदारी और शरीफ काश्मीर में करवायेंगे उससे दोगुने RAW मेरी consultancy में सिन्ध, कराची और NWFP में करवाने में कामयाब होगा । इस क्षेत्र मेरा लोहा दुनिया और कम से कम भारत की सरकार तो पूरा मानती है।
और फिर कान में फुसफुसाते हुये कहा कि जब तुम अन्दर के आदमी ही हो तो एक बात और भी सुन लो कि समुचित तौर पर अगर देखा जाये तो मैं भारत के प्रधानमन्त्री पद के लिये भी कुछ कमजोर उम्मीदवार नहीं हूं।
कांग्रेस पार्टी के पास मनमोहन सिंह जी का कोई विकल्प नहीं हैं। सोनिया जी कदाचित उनके दूसरे कार्यकाल के लिये प्रस्तुत नहीं होंगी। और फिर मनमोहन सिंह जी भी मेरे मुकाबले कमजोर ही साबित होंगे। मैने पाकिस्तान को जिन परीस्थितियों में नौ वर्ष तक चलाया था मनमोहन जी नौ वर्ष तो क्या नौ महीने भी नहीं चला पाते। बुश को मैने जिस तरह नचाया है क्या आज तक भारत का कोई भी प्रधान मन्त्री नचा पाया है। नहीं। खैर अभी शुरुआत के लिये तो RAW के सलाहकार वाला पद ही ठीक है।
यहां तो सेना,सरकार या धर्मगुरुओं में से किसी न किसी ने तो खा ही जाना है। ये तो बाघ की सवारी कर रहा था कि उतरा नहीं और खेल खत्म।
अब तो जब भारत का वीसा मिल ही रहा है तो कह सकता हूं कि भारत में विदेशी मूल के लोगों में, मैं कोई अकेला ही तो प्रधान मन्त्री पद का उम्मीदवार नहीं हूं, स्क्रिप्ट में बहुत संभावनायें हैं दोस्त और पिक्चर अभी बाकी है ।
नींद खुली तो सोच रहा था कि राखी सावन्त का तो क्या दिखता पता नहीं लेकिन मुशर्रफ साहब के सन्दर्भ में उनकी हिप पाकेट की पिस्तौल आखिरी क्षणों तक दिख रही थी।

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चिट्ठाजगत

Sunday, August 24, 2008

Terrorism in Pakistan

My last Blog was on India and Terrorism. Well I have been blaming Pakistan
a lot for several ills in India and Terrorism in India is a major issue in it.
There is another dimension to the whole issue.That is TERRORISM IN PAKISTAN.
Pakistan is worse victim of Terrorism as compared to India. Wikipedia says that the 90% of the world wide Islam based terrorism, has its root in Pakistan.
My take is that Pakistan started the Industry of TERRORISM as an Export Oriented Unit. They had emerged as the biggest exporter of Terrorism The foiled plane hijack in China was attempted by a Pakistani origin person, India /Kashmir and Afghanistan are their favourite hunting ground. In the 9/11 the Pakistani connection was very evident. Certainly Terrorism is their chief export to all countries.
Yet they have been caught offguard as they were unaware of a fundamental principal of Economics that for any E.O.U. to be successful its imperative that there is a larger domestic market for the said product.
And now the crows have come back to roost. The killer of Daniel Pearl was arrested in a bid to kill Musharrf. The number of Terrorist strikes in Pakistan is at least double as compared to India. It is all their own, homegrown industry. Their any attempt to pin it on RAW meets with international derision. There is no way that the Pak authorities could blame any external agency for the Lal Masjid Fiasco and several such others. It is their own EXPORT ORIENTED UNIT which faced with substantial rise in production is seeking a DOMESTIC MARKET.
Domestic market has certain advantages over international market, as any school level economics student would tell you. The market access is easier. The terrain is familiar. The risk element is considerably less. Whenever there is a glut (seasonal or otherwise) in the International market you can sell the surplus in the Domestic Market. Further basing on another basic principal of Physics that all movements happen along the path of least resistance , this Export Oriented Product was bound to reach the Domestic Market in a Big Way sooner then later.