Friday, September 24, 2010

Home Minister and Rahukal

गृहमन्त्री जी का राहूकाल
आजकाल हमारे गृहमन्त्री जी का राहुकाल चल रहा है। और सिर्फ राहुकाल ही नही शनि दशा का भी प्रभाव है। इसीलिये बौखलाहट में रस्सी को सांप समझते हैं और असली सांपों से मारे डर के मुंह छिपाते घूम रहें हैं। आतंकवाद में शेष दुनिया को जर्द होती हुयी इन्सानियत का सफेद रंग दिखता है, इन्हें भगवा रंग दिखता है।
अब राहुकाल को दूर करने के लिये कुछ उपाय करने भी आवश्यक लग रहे थे। नींद में भी बुरे बुरे सपने आ रहे थे। कभी काश्मीर कभी माओवाद व कभी 24 सितम्बर को आने वाला अयोध्या मन्दिर मस्जिद मुकदमे का फैसला। आधी रात को पसीने से नहाये हुये उठते और अपने ग्रहों को कोसते। पहले जहां क से कुर्सी दिखती थी अब क से काश्मीर दिखने लग गया था। पहले ह से हार्वार्ड समझते थे अब ससुरी ह से अपनी ही हारी हुयी शक्ल दिख रही थी।
मरता क्या न करता चले किसी खेवनहार की तलाश में। एक नये बाबा चुनावी कुम्भ में नये नये उतरे थे । नाम राहुल बाबा । बहुतों की नैया पार लगाई थी। आजकल इनके दिये मन्त्रों की बड़ी चर्चा थी। पहुंचे उनके द्वारे कुण्डी खड़खड़ाई। पता लगा बाबा अपनी ही किसी स्पेनिश समस्या के समाधान हेतु अमेरिका गये हुये हैं। खैर मन्त्री जी ने सोचा कि इस कुटिया में तो मिट्टी में ही मन्त्र बसते हैं। बाबा का कोई छोटा मोटा चेला हो तो भी कुछ न कुछ तो बता ही देगा। इस कुटिया में रहने वालों ने कभी किसी विद्यालय या महाविद्यालय की दहलीज तो लांघी नहीं थी। निराली कुटिया है। इस कुटिया में बस जन्म लेने की या कुछ समय भर रह लेने से सारे मन्त्र,उपचार स्वय ही आ जाते हैं। बड़े बड़े पढ़े लिखे सरदार यहां शीश नवाते हैं।
तो मन्त्री जी ने वहां उपस्थित माली से ही पूछ लिया। भैये तुमे इस परिवार के साथ विगत 40 वर्षों से हो।राहुल बाबा भी 40 के ही है। इस घर की छाया तुम दोनो को बराबर ही मिली है। अब तुम ही कोई मन्त्र सुझा दो। माली ने आनन फानन में गृह मन्त्री जी को भगवा आतंकवाद का मन्त्र दिया। कहा जब तक राहुल बाबा अमेरिका से वापस नहीं आजाते तब तक इसी मन्त्र से काम चला लीजिये। । श्री चिदाम्बरम जी ने तुरन्त मीडिया को बुला भगवा आतंकवाद के मन्त्र का जाप शुरु कर दिया। इस मन्त्र के सहारे कुछ दिन नींद भी आ गयी।
राहुल बाबा के आते ही पहुंच गये गृह मन्त्री जी बाबा के दरबार में। पहुंचे तो पाया कि राहुल बाबा अपनी मां के सामने “मैं तो वही SPANISH खिलोना लूंगा” के अन्दाज में बिफरे हुये नजर आये। मन्त्री जी समय का तकाजा समझ अपनी उपस्थिति नही जता बाहर खड़े रहे। अन्दर भारत की सबसे विषम राष्ट्रीय समस्या पर चर्चा हो रही थी। राहुल बाबा के नहीं हो रहे विवाह की। माताश्री राहुल बाबा को समझा रही थी । कि उनके विदेशी मूल के होने की वजह उनके प्रधान मन्त्री बनने में बाधा बनी। अब अगर राहुल बाबा भी अगर एक विदेशी SPANISH सुन्दरी से विवाह कर लेते हैं तो उसके एवज में उन्हें सत्ता सुन्दरी से निश्चित ही हाथ धोना पड़ेगा। उदाहरण से समझा रही थी। राहुल बाबा तुम तुम्हारे पिता के देहान्त के समय इक्कीस के थे। सन 2003 में जब तुम राजनीति में उतरे 33 के थे।ये बीच के बारह वर्ष बेरोजगार हो एम्प्लायमेन्ट एक्सचेंज के चक्कर काट रहे थे। अब जब अपने पारिवारिक व्यवसाय में Board of Directors में जगह मिल ही चुकी है फिर सिर्फ और सिर्फ अपने पारिवारिक व्यवसाय को सर्वोपरि मानो। शेष मुद्दों को गौण।
खैर चिदाम्बरम जी ने भी खांसते हुये कुटिया में प्रवेश किया। राहुल बाबा की माताश्री की भारतीय सरकार में वही स्थिति है जो महाभारत में श्री कृष्ण की थी। यानि धर्म संस्थापनाय संम्भवामि युगे युगे। चिदाम्बर ने मादाम से अपने राहु काल से निकालने का कोई उपाय सुझाने की प्रार्थना की। फिर अपने हाथ भी बंधे होने की गुहार लगाई। इस इतनी बड़ी विपदा से बंधे हांथों से किसे निबटा जा सकता है मदाम कृपया आप ही कोई रास्ता बतायें। मादाम से निवेदन किया कि राहुल बाबा तो साक्षात् अश्वमेघ यज्ञ के अश्व सम हैं। इन्हें काश्मीर भेज दीजिये। हुरियत तुरन्त इनकी मिलकियत स्वीकार कर लेगा।
मादाम ने गृहमन्त्री जी से कहा कि अश्वमेघ यज्ञ तो शायद यहां नहीं चले। अगर हुरियत वालों ने राहुल रुपी अश्व को ही बांध लिया तो परीस्थिति सांप नेवले की हो जायेगी। अन्य कोई उपाय बतायें राहु काल से निपटने का। अब मादाम आप ही तो भारत में एक मात्र श्री कृष्ण हैं तो गीता का पाठ तो आपको ही पढ़ाना पड़ेगा।
मादाम: भई सच्चर कमिटी के सन्दर्भ में अल्पसंख्यकों को कुछ विशेष अधिकार तो हमें देने ही होंगे। उन्हें तो बम व ए के 47 तक चलाने के अधिकार दे देने चाहिये । अब बम एवं ए के 47 से अगर वे पत्थरों पर आ गये हैं तो सुरक्षा बलों को कहिये कि चुप चाप पत्थरों की बौछार सह लें। आई एस आई इन पत्थरबाजों को 300 रुपये दिहाड़ी दे रही है,आप सैन्य बलों को पत्थर खाने की 400 रुपये की दिहाड़ी दे दीजिये। और हां सैन्य बल के लिये पत्थर खरीदने की निविदा क्वात्रौच्चि को दिलवा दें।
तभी उनके सुरक्षा सलाहकार श्री शिव शंकर मेनन जी भी वहां पहुंच गये। उन्होंने बताया कि सुरक्षा बल पत्थरों की बौछार सहने के लिये प्रस्तुत न्हीं है, तो अब और कोई जुगत भिड़ानी होगी। मादाम ने चेतावनी स्वरुप फरमाया कि ,खबरदार आप चिदाम्बरम जी के हाथ खोलने के अलावा ही और कोई सलाह दें अन्यथा हमें और कोई नया सलाहकार तलाशना होगा।
राहुल बाबा ने अपनी जुबान खोली। देखिये सारी समस्या पत्थरों की बौछार की है।तो ऐसा कीजिये कि घाटी में एक भी पत्थर नही मिले। तो क्या उठायेंगे और क्या फेंकेंगे। मादाम ने बड़े गर्व से अपने बेटे को निहारा। कहा देखिये बिना हाथ खुलवाये ही अपको आपकी समस्या का निदान मिल गया।
मेनन जी ने मादाम जी की ओर मुखातिब होते हुये उन्हें भारत के मनचित्र से वाकिफ करवाते हुये उसमें काश्मीर दिखाया। कहा मादाम वहां तो पूरी हिमालय पर्वत की श्रींंखला है। पत्थर खत्म करने के लिये तो पूरा हिमालय ही साफ करना पड़ेगा। अब यह काम न तो राज्य सरकार के बूते का है न केन्द्र स्रकार के बूते का।
राहुल बाबा ताजा ताजा ओड़िशा दर्शन कर लौटे थे। वहां से अर्जित अनुभव के आधार पर उन्होंने अपना सुझाव दिया। क्यों न हम हिमालय पर खनन करने का अधिकार वेदान्त उद्योग के अध्यक्ष श्री अनिल अग्रवाल को दे दें। कुछ न कुछ पार्टी फंड में धन भी आजायेगा। और उसमें हिमालय को साफ कर देने की क्षमता भी है। न हिमालय रहेगा न पत्थर तो यह समस्या आराम से सुलझ जायेगी।
या फिर इसके अलावा तो बस एक ही उपाय है कि श्री चिदाम्बरम जी एक विशाल हवन का आयोजन करें। समिधा में भारत का स्वाभिमान फूंक हुरियत के देवताओं को प्रसन्न करें। ऊं स्वाभिमान स्वाहा, ऊं सैन्य सुरक्षा बल स्वाहा, ऊं पांच लाख शरणार्थी हिन्दु स्वाहा, ऊं संविधान स्वाहा, से शायद काश्मीर के नव ग्रह शान्त हो जायेंगे।
मेनन जी फूटे, लेकिन अन्य समस्याओं यथा माओवाद,मन्दिर मस्जिद का क्या निदान है मादाम्। गृहान्त्री जी के हाथ तो यहां भी बन्धे हुये हैं। मादाम ने झुंझलाते हुये फरमाया कि मैं सोचती हूं कि मैं मेनन जी के स्थान पर अरुन्ध्ती राय को भारत का सुरक्षा सलाहकार नियुक्त कर देती हूं। राहुल भी तो वहीं से सीख कर आपको सुझाव दे रहा है। उनके पास ऐसी सारी समस्याओं का शर्तिया सुझाव रहता है।
अब चिदाम्बरम जी को महसूस हो रहा था कि शायद हवन का सुझाव ही आज की परिस्थिति में सर्वोत्तम रहेगा। निकल पड़े समिधा इकट्ठा करने हेतू। ऊं गणतन्त्र स्वाहा। ऊं अखण्डता स्वाहा।
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6 comments:

ambrosia said...

satire...kuldip style. There are innumerable instances. I wonder if there is any mantra which can save CWG???? kaash mantro se kaaam hota na ki mantri ki efficiency se....

Rohit Singh said...

हाहाहाहाहा बेहद असरकारक मंत्र हैं।

Unknown said...

u articles are very well written..do u have a follow me link?

Kuldip Gupta said...

In Blogspot it is always there. You can see the followers on my page.

PST said...

बहुत अच्छे. अपने मन कि भड़ास को ब्लॉग के बहाने हम यूँ ही निकालते रहें.
कुछ हमारा बोझ कम होता है, और कहीं किसी को कुछ तो असर होता है...
बधाई:
प्रियंक ठाकुर
www.meri-rachna.blogspot.com

Swami Sharan Verma said...

Vah ! 5 Lakh sharnarthi swaha ! behad sahi chot ki hai, aapne. Par is Nakkarkhane me tuti ki awaj kaun sunega?