Computer Virus and Communalism
साम्प्रदायिकता भी Computer Virus की भांति समाज के चाहे अनचाहे,जाने अनजाने समाज में घर करती जा रही है। कम्प्यूटर वाईरस भी user के अनचाहे, अनजाने में ही क्म्प्यूटर में घर कर लेता है। इस रोग के लिये एड्स की नाईं physical contact की आवश्यकता भी नहीं है। ठीक Virus की तरह सामाजिक अन्तरजाल या internet के मार्फत से किसी प्रदूषित कम्प्यूटर से सम्बन्ध स्थापित होते ही यह Virus अपनी एक प्रतिलिपि Host कम्प्यूटर की “सी” ड्राईव में तैयार कर उसके मानस को विक्षिप्त (Corrupt) कर देता है। यह सम्बन्ध साक्षात्कार से हो सकता है,या वाह्य मीडिया यथा CD/USB/Floppy की नाईं पुस्तक,साहित्य, प्रवचन किसी से भी हो सकता है।
ठीक computer virus की भांति इसमें हर उस System को दूषित करने की अदम्य क्षमता होती है,जो भी इसके सम्पर्क में आता है।
अक्सर “ट्राजन” के सम यह बिलकुल निर्दोष सी दिखने वाली जानकारी की तरह प्रवेश द्वार में सेंध लगाता है। हम एक उपयोगी जानकारी मान अपने कम्प्यूटर की “सी” ड्राईव में इसे डाउनलोड कर लेते हैं। आहिस्ते आहिस्ते यह “ट्राजन” हमारे मानस की “सी” ड्राईव में मौजुद फाइलों या विचारों को अपने घेरे में ले उन्हें अपने ही रंग में रंग देता है।
जब तक पता चलता है तब तक देर हो चुकी होती है। निदान स्वरुप हम अलग अलग एन्टी वाईरस या पुलिस या सी बी आई से स्कैन करवाते हैं,लेकिन समस्या ज्यों की त्यों बनी रहती है।हम जानते हैं कि इसका निदान अन्तिम Formatting के द्वारा ही सम्भव है। खर्च या समय के अभाव में हम इसे कुछ समय तक टाल कर काम चलाते रहते हैं। कम्प्यूटर अपनी आधी क्षमता पर काम कर रहा होता है।
आज भी समाज के ठेकेदारों को समझना होगा कि आज के सन्दर्भ में इसका निदान सम्पूर्ण क्रान्ति या Formatting के द्वारा ही सम्भव है।
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