Monday, July 20, 2009

Rakhi Savant and Rahul Gandhi

आजतक हमने तो दो ही स्वयंवर का उल्लेख सुना था।एक जिसमें शिवजी का धनुष तोड़ा गया था एवं दूसरा जिसमें मछली की आंख फोड़ी गयी थी। इस कलियुग में पहली बार तीसरे स्वयम्वर की चर्चा सुनी। राखी भौजी का स्वयम्वर।अब आप कहेंगे कि भौजी के स्वयंवर का क्या अर्थ है ? अरे भई जो भी धनुष तोड़ लेगा कोई न कोई भाई ही होगा। तो फिर इन्डिया में हो या न हो हमारे भारत में तो भावी भौजी को भी भौजी कहने का रिवाज है।

तो जनाब हम भी पंहुच गये राखी सावन्त का स्वयंवर देखने। इच्छा तो participate करने की ही थी। लेकिन कुंवारा होना उम्मीदवारी की अनिवार्य शर्त थी। अब भैया क्या पता उ स्वयंवर जीते या न जीते ,लेकिन उस की उम्मीदवारी में जो हम जीत चुके थे उसे तो नहीं गंवा सकते थे।

तो हमने पड़ोस के नेताजी को पटा कर दर्शक दीर्घा का पास बनवा ही लिया। अब ये बात और है कि हमारी संसद तक में दर्शक दीर्घा के पास पर भी मण्डप में प्रवेश सकता है , तो यह तो NDTV का स्टुडियो भर था। सोचा अगर मौका मिला तो ठीक वर्ना चलो दूल्हा नहीं तो कम से बाराती बन दावत तो मिल ही जायेगी । फिर गधे और नट की कहानी याद आयी। क्या पता लड़की रस्सी से गिर ही जाये। या फिर एक और भी सम्भावना थी कि जैसे BAYWATCH की Pamela भौजी ने अपनी हनीमून की विडियो राइट्स बेची थी क्या पता सीरीयल के निर्माता TRP के खातिर यहां भी ऐसा कुछ कर दें।तो भैये सम्भावनायें अनन्त थीं।

राखी जी के स्वयंवर की शर्तें बाहर वीडियो पर सुन्दर एनीमेशन के साथ नाच रहीं थी.:

शर्तें::

1) कुंवारा होना

2) जन्म कुण्डली मिलनी चाहिये

3) सार्वजनिक रुप से कभी किसी को किस्स नही किया होना चाहिये

4) कद लम्बा

5) रंग गोरा

6) उम्र : 25 से अधिक

7) तालीम : चेक पर दस्तखत करना आता हो।

8) अगर प्रेम पत्र अच्छे लिख सके तो एक अतिरिक्त योग्यता मानी जायेगी।

9) थप्पड़ खाने का तजुर्बा भी आवश्यक है।

9) सब उम्मीदवरों से उम्मीद की जाती है कि वे अपने बैंक (स्विस) एकाउंट स्टेटमेंट साथ ले कर आयें।

10) शादी की मियाद बैंक (स्विस) स्टेटमेंट के अनुसार तय की जायेगी।

पर्दा उठता है। कोई एक श्रीमान भावी वधु का परिचय करवाते हैं।

ये राखी सावन्त हैं।

इनकी जबान तो बोलती ही है जिस्म उससे अधिक बोलता है।

सबजगह से बोलता है।

इनकी खासियत है कि ये खुद कितना भी नीचें गिरें, बस TRP उपर जानी चाहिये।

लोग इनसे थप्पड़ खाने के लिये भी कतार में खड़े रहते हैं। अब मीका को कोई नहीं जानता था लेकिन एक थप्पड़ ने उसकी तकदीर बदल दी। स्टेज शो एव स्टेज शो के पैसे दोनो मिलने लगे।

अब बगल में एक दिलजले (खट्टे अंगूर वाली लोमड़ी, किस्म के व्यक्ति) बैठे थे। उनसे रह नही गया। फुसफुसाते हुये कान के पास आ कहने लगे ,भाई साहब उस थप्पड़ से मीका की तकदीर तो खुली ही, साथ साथ राखी की तकदीर को भी चार चंद लग गये। इनसे शादी करने के बनिस्बत थप्पड़ खाना अधिक लाभ का सौदा है।

मैंने कहा भाई अभी तक तो मेरा या आपका दोनो(शादी का और थप्पड़ का) का ही कोई चान्स नहीं है। तो फिर दोनों के बीच मोल तोल क्यों किया जाये।

फिर तमाम कुंवारों का परिचय करवाया गया। भारत के सारे WHO’S WHO कुंवारे वहां उपस्थित थे। mahendra siमहेन्द्र सिंह धोनी से लेकर राहुल गान्धी तक।

राखी पहले उम्मीदवार के रुप में राहुल गान्धी से मुखातिब होती हैं।

राखी:: आपके बैंक एकाउंट से तो सारा देश वाकिफ है। स्विस भी और इटालियन भी। और आपकी नाम राशि भी हमारे नाम राशि से मिलती है।जब नाम राशि मिलती है तो कुण्डली भी मिल ही जायेगी। पेशे से आप किसान हैं ऐसा आपने लोकसभा के चुनाव अधिकारियों को बताया है।

भारत में आपसे अधिक अमीर किसान तो और कोई नही, होगा। बाकी अन्य खुबियां भी बताइये।

राहुल G :: अब देखिये तुम्हारी प्रेम पत्र वाली शर्त पर तो हमसे बेहतर कोइ नहीं होगा । हमने अपने प्रेम पत्र से पूरा उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान हिला दिया। तुम अपनी cleavageccleavagecc से तो सिर्फ झुमरी तिलैया ही हिलाती रही हो।

मेरे प्रेम के किस्से कोलम्बिया तक फैले हैं।

T R P के लिये जैसे लटके झटके तुम करती हो।मैं भी करता हूं। कभी किसी गांव में रात बिताता हूं, कभी दिहाड़ी

मजदूरी करता हूं। तुम्हारा भी सारा किरदार TRP पर निर्भर करता है मेरा भी। isaइस TRP के बाहर तुम भी और कुछ भी करने में अक्षम हो ,मैं भी। फर्जी युनिवर्सिटी की डिग्री, चुनाव आयोग में दाखिल कर चुनाव तो लड़ा जा सकता है। CORPORATE SECTORमें कोई नौकरी तो नहीं मिल सकती इसकी बिना पर।

बाकी उम्मीदवार जैसे महेन्द्र सिंह धोनी कि क्रिकेट की कोई जागीर तो है नहीं।बकौल गब्बर जब तक इसका बल्ला चलेगा तब तक इसकी TRP चलेगी। क्या पता बैंक एकाउन्ट पहले खत्म हो या TRP। तो फिर क्या मुकाबला है मुझमें और उसमें। यहां तो खानदानी जागीर है। कम से कम चार पुश्तों से तो चल ही रही है।

मिxxन्द वो तो हमारे मुनीम का बेटा है। युवराज के पास तो सिर्फ भारत के टटपुंजिया बैंकों की पासबुक ही है।

और फिर जब हमने एक हाथ से हाथी को पछाड़ दिया तो शिव जी का धनुष तोड़ने में क्या देर लगेगी।

मेरी मानो बाकी सब को दफा करो ।

यह सब सुनने के बाद राखी जी ने भी सीता मैया की जय का उद्घोष लगाया। मुझे तुलसी दास जी की चौपाइयां याद आ रहीं थी याते सब सुधी भुल गयी।। कर टेक रही, पर टारत नाहीं। तो भैये अब बिल्कुल राम राज्य आने को ही है। अब हमारे चारण, विप्र, गण मिलि वेद पढ़ाईं शुरु कर ही दें।

मध्यान्तर के बाद दूसरे एपिसोड की शूटिंग होनी थी। शूटिंग शुरु हुयी। राहुल भैया ने मंच पर आकर धनुष ढुंढना शुरू किया। राखी ने कहा देखो शायद पलंग के नीचे पड़ा होगा। राहुल ने धनुष निकाला, तो पाया कि वह तो पहले से दो जगह से टूटा हुआ था। राहुल ने कहा कि यह तो पहले से ही टूटा हुआ है। राखी ने झुंझलाते हुये कहा कि देखो मंए कब कहा कि यह मेरा पहला स्वयंवर है। तो। यह तो मेरा तीसरा स्वयंवर है। भइ यह क्या तमाशा है।

राखी: देखो मैं समझाती हूं। पहला स्वयंवर टू व्हीलर आलों में से हुया था। दूसरा फोर व्हीलर वालों में से था। अब आज तीसरी बार मर्सीडिज वालों के साथ स्वयंवर है। अब अधिक नखरा किये बिना एक कोने से तुम भी तोड़ लो।

तुम्हारी TRP भी पांच साल बाद मार खा सकती है। तो देखना कि धनुष में चौथे स्वयंवर के लिये भी प्रावधान बना रहे।

और उधर धोनी भी कह रहे थे कि भइ यहां तो मुख्य शर्त धनुष तोड़ने की थी। हमें भी मौका तो मिलना ही चाहिये।

अन्य लोगों ने सुर में सुर मिलाया। बगावत होने को थी।

राखी भौजी ने बड़ी समझदारी का परिचय देते हुये कहा कि छोड़िये ये सब। हम चारों को ही जीता घोषित कर चारों से ही ब्याह रचा लेते हैं। पिछली बार भी तो पांच पतियों के वरण का इतिहास है ही। अब मेरी बांछें खिल रहीं थीं कि ये तो चार ही हैं। क्या पता मीका नहीं यार मीका नहीं, छींका ,हां हमारे भाग्य का छींका टुट ही जाये।


Thursday, July 16, 2009

Meri Betiya

मेरे सारे ब्लाग्स सारे जहां के विषय में थे।कभी राजनीति पर कभी धर्म पर ।
आज कुछ मानवीय सम्बन्धों पर लिखने की इच्छा हुई।मैं एक Mid aged पचासोत्तर उम्र का मारवाड़ी व्यवसायी हूं। मैं आज उम्र के जिस पड़ाव पर हूं, उस पड़ाव पर मेरे प्रायः हमउम्र मित्रों के पुत्र वयस्क हो चुके हैं ,एवं पारिवारिक व्यसाय में रत हैं।
इन समीकरणों मे अक्सर एक असंतोष देखने में आता है। कहीं पिता को पुत्र पर पूरा भरोसा नहीं है एवं पुत्र पांच या दस वर्षों के बाद भी Learning License वाली driving ही कर रहें हैं। कहीं पुत्र परिवर्तन चाहते हैं एवं पिता अपने पुराने Tried एवं Proven मार्ग से हिलने को तैयार नहीं हैं।
कारण कुछ भी हों,सम्बन्ध अक्सर तनाव मय हैं।
यह सब देख कर अक्सर प्रतीत होता है कि मैं खुशकिस्मत हूं कि मेरे कोई बेटा नहीं है,सिर्फ दो बेटियाँ हैं। सिर्फ कहना गलत है। सिर्फ कहीं न कहीं न्यूनता का भाव प्रदर्धित करता करता है। यहां तो बाहूल्य का मौसम है।
प्रधान मन्त्री श्री मनमोहन सिहं ने भी कुछ ऐसे ही भाव व्यक्त किये थे ,जब उन्हों कहा था कि "वे खुशकिस्मत हैं कि उनकी तीन बेटियां हैं कोई बेटा नहीं है। अगर उनके कोई बेटा होता तो वो कभी भी प्रधान मन्त्री नहीं बन सकते"।
स्वाभाविक तौर पर मेरे ढेर सारे अनुभव हैं इन बेटियों के बचपन के, किशोरवस्था के आदि।
मुझसे किसी व्यक्ति ने एक दिन कहा कि आपने अपनी बेटियों को बेटों की तरह पाला है। मैं चौंक गया कि, कहां चूक हो गयी। मेरा उत्तर था कि भाई साहब मुझे तो एक ही तरह से पालना आता है। बताइये कहां चूक हो गयी। पता लगे तो अब भी भूल सुधार कर लूं।
एक और शुभचिन्तक हितैषी अतिथि के रुप में घर आये थे। कहने लगे कि बेचारे कुलदीप के तो सिर्फ बेटियां हैं।कोई बेटा नहीं है। मुझे और मेरी वहां उपस्थित बेटियों को बेचारा शब्द बहुत नागावार गुजरा। अब अतिथि धर्म के सामने बहुत कुछ कहा भी नहीं जा सकता। मैं उनकी भावनाओं को भी समझ रहा था। फिर भी मैंने तुरन्त बेचारा शब्द पर ऐतराज करते हुये पूछा कि मैं कहां से उन्हें से बेचारा नजर आगया।अच्छा खासा व्यसाय चला रहा हूं। कभी मांगने के लिये हाथ नहीं उठाया। मेरी बेटियां मुझे तो अति प्रिय हैं। तो कमी कहां और बेचारगी कहां है।
प्रश्न है एक सही व्यक्तित्व के निर्माण का। फिर चाहें वे इन्दिरा नूयी बनें या सहज गृहणी कोई फर्क नहीं पड़ता।