Tuesday, January 08, 2013

Rape



बलात्कार
यह क्या विडम्बना है
नारी के साथ होती है हिंसा
कानून उसे बलात्कार की संज्ञा देता है
और समाज इज्जत लुटने का सर्वनाम

फिर कतिपय बड़े नाम
बनाते हैं प्रश्न चिन्ह
राम राम,
क्यों लांघी लक्ष्मण रेखा
जब एक नहीं रावण छ: छ: थे
सीते तूने
क्यों नहीं कर दिया समर्पण
और एक  बहुत बड़े सन्त
एक हाथ की
ताली से करते हैं तेरा तर्पण

लेकिन तू तो भुमिजा नहीं
तू अग्निगर्भा थी
तू जानती थी कि
आज इस भारत या इन्डिया में
कृष्ण जिसको कभी तूने बांधी थी राखी
भूल कर वो कर्ज
विस्मृत कर अपना फर्ज
व्यस्त है
हफ्ता वसूलने में
इसीलिये किसी कृष्ण की अपेक्षा के बिना
तू स्वयं लड़ी दुशासन से
मैं
मानता हूं कि
तू नहीं हारी
जंग तो अब भी है  जारी ।

इस चीर हरण से
शरीर मेरा नग्न हुआ है
इज्जत मैने खोई है।
मैं
मैं कौन
और कौन मैं ही तो हूं तेरा अपराधी
मैं धृतराष्ट्र,
क्या आंखों के बिना
नहीं सुन सकता था मैं तेरा अन्तर्नाद

11 comments:

aSTha said...

wish all these words said and written would contribute something to change the mind sets of Y chromosome.

Rahul said...

बहुत ही मार्मिक रचना...

NKC said...

Bahut sundar bhawpurn shabd aur abhiwyakti.



http://www.raj-meribaatein.blogspot.com

Dr.R.Ramkumar said...

nice and liable creation...go on..

Dr. Suman Dwivedi said...

Rachna marmsparshi hai dekha jaye to aapne sahi hi kaha ki naari ke prati logo ka yahee nazariya hai...............

dr.aditya said...

sobhagya.... ek sundar rachna..padne ko mili.... sundar likhte rahiye...

Ninaad (Swar) said...

bahut hi acha kataksh hai is system and samaj ke liye.. par kash ke wo log bhi ise par ke kuch samajh sake

Randhir Singh Suman said...

nice

RACHANA KOLI said...

bhut achha likha hai sir ..

Jyoti said...

Oh so heart touching..bahut sundar

संतोष पाण्डेय said...

संवेदना को झकझोरती कविता .
हालात दिनोदिन और खतरनाक हो रहे हैं .