जब कई हाथ
उठते हैं साथ साथ
और कुछ उंचे स्वर में
हो रही हो बात
तब सत्ता चौंक कर
ढुंढती है
कहां बिछी है बिसात
उसे तो दिखती है सिर्फ शह और मात
सत्ता के अन्य संवेदना तंतु
तो दफ़न हैं बर्फ के नीचे
सत्तधारियों को सिर्फ
उठती हुयी हथेलियों की
उष्मा से बचा रखना है
उस संवेदना तंतु के उपर जमीं बर्फ को
यह बर्फ अगर पिघल गयी तो
सत्ता की सुरक्षा खतरे में होगी
बचा कर रखें उस बर्फ को
संवेदना तंतुओं को जिन्दा होने से रोके
तब ही यह सत्ता की कागज की नाव
अगले चुनाव तक
तैरती रह पायेगी
जब चुनाव जीतना
साधन न हो साध्य हो जाता है
तब चाहे कोई जीते
राष्ट्र हर हाल में
हारता आता है।
जब चारण चाणक्य का पद पाता है
तब नीति शास्त्र के नाम
प्रशस्ति गीत गाया जाता है
जब इन्दिरा इन्डिया का पर्याय कहाती हैं
तब भूखे अधनंगे भारत की थाली में
आंकड़ों की रोटी परोसी जाती है।
जन साधारण की जिजिविषा
में उन्हे दिखता है राजद्रोह
इस दृष्टिभ्रम की
वजह है सत्तधारियों की
पैसे की भूख
और सत्ता का मोह
जब नागरिकों के विरोध के स्वर को
को कानुन व सुरक्षा
के डण्डे से शान्त किया जाता है
तब जलियां वाला बाग याद आता है।
लेकिन सत्तधारी नहीं मानते
जिये हुये ऐतिहासिक सत्य को
कि निरीह जनता जब
राष्ट्र या राष्ट्रीयता से विमुख हो जाती है
तब ही विदेशी शक्तियां दांत गड़ाती हैं
कोई सैन्य दल तब काम नहीं आता है
और देश पर बाह्य शक्तियों का कब्जा हो जाता है।
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14 comments:
बहुत बढ़िया प्रस्तुति ||
बधाई |
जब चारण चाणक्य का पद पाता है
तब नीति शास्त्र के नाम
प्रशस्ति गीत गाया जाता है
जब इन्दिरा इन्डिया का पर्याय कहाती हैं
सत्ता तो हाथ में डंडा लिए ही तो पैदा होती है :)
बहुत ही खरी समय के चौखट पर !सुन्दर लिखा है आपने !
sundar lekhan! sundar shabd
जब इन्दिरा इन्डिया का पर्याय कहाती हैं
तब भूखे अधनंगे भारत की थाली में
आंकड़ों की रोटी परोसी जाती है।
kuldeepji
in paktiyo ne hriday ko jhhakjhhod diya.
sir kaitaa ke roop men ye sach sahi kahaa hai aapne.....
my blog
http://kavyachitra.blogspot.com/
-- मधु त्रिपाठी
MM
बेहतरीन प्रस्तुति। आज की राजनीतिक व्यवस्था का सटीक चित्रण। बहुत-बहुत धन्यवाद
good बहुत बढ़िया
कुलदीप जी .मानेंगे कभी न कभी ये सत्ता वाले भी ..अब जनता जाग रही है ...सुन्दर भाव प्यारी रचना गजब का रंग दिया मन को छू गयी ...
ढेर सारी हार्दिक शुभ कामनाएं .....जय माता दी आप सपरिवार को ढेर सारी शुभ कामनाएं नवरात्रि पर -माँ दुर्गा असीम सुख शांति प्रदान करें
थोडा व्यस्तता वश कम मिल पा रहे है सबसे क्षमा करना
भ्रमर ५
जब नागरिकों के विरोध के स्वर को
को कानुन व सुरक्षा
के डण्डे से शान्त किया जाता है
तब जलियां वाला बाग याद आता है।
लेकिन सत्तधारी नहीं मानते
आपकी और भी कई रचनाओं को पढ़ा सब एक से बढ़ कर एक!
दीवाली की हार्दिक शुभकामनायें!
chandankrpgcil.blogspot.com
dilkejajbat.blogspot.com
ekhidhun.blogspot.com
पर कभी फुर्सत मिले तो आइयेगा|
मार्गदर्शन की अपेक्षा है|
शुभ दीपावली,
nice
Bahut sundar kavita aur aaj ke raajnitik avastha ka ek avlokan... likhte rahiye...
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